
मुंबई पर हुए आतंकी हमले पर बहुत लिखा जा चुका बहुत सुन लिया और बहुत कह भी लिया मगर जिनकी जान गई जो शहीद हुए उनके लिए कितनों ने बात की हैं..? मीडिया हर पल का सीधा प्रसारण दिखा कर अपने चैनल को तेज सबसे तेज घोषित करने की होड़ में लगा हुआ हैं. राजनीतिक दल हमारे तथाकथित नेता इस समय भी राजनीति करने से नहीं चूकते हैं. एक दूसरे की गलती निकालने एक दूसरे की टाँग खींचने में कोई पीछे नहीं हटना चाहता. सवाल ये हैं कि देश के बारे में कौन सोचेगा..?
हमले में जो शहीद हुए उन्हें शत शत नमन और उन परिवारों को सांत्वना जिन्होंने अपनों को खोया. शायद अब वक्त आ गया हैं जब हमें भारत माँ का ऋण चुकाने को आगे आना होगा. केवल बहस और भाषण से कुछ नहीं होगा समय है उचित रणनीति बनाने का सही कदम उठाने का , कुछ ऐसे ठोस कदम जो आने वाले समय में हमें इतना कमजोर साबित न कर पाए. हमें एकजुट होना होगा और इस आतंक से डटकर मुक़ाबला करना होगा.आपसी झगड़े भूल एकता दिखाने का मिलकर आतंक का सामना करने का वक्त है.
भारत इतना कमजोर कैसे हों सकता हैं कि चंद आतंकवादी पूरे देश को हिला दे ? क्या हमारे देश में इतना सामर्थ्य नहीं की इसका सामना कर पाए ? क्या वीरों की धरती पर वीरों का अकाल हों गया हैं ? हमारी संवेदनाएँ हमारी भावनाएँ कहाँ हैं ?
मीडिया जिसे अपना सही फर्ज निभाना था वो हर खबर को दिखाता रहा और दहशत बढ़ाता रहा. बजाए इसके कि कार्यवाही होने देते व प्रमुख खबरें आम जनता तक पहुँचाई जाती. नेता राजनीति न कर आगे की कार्यवाही पर प्रकाश डालते. कोई भी अपना कार्य ठीक से न कर पाया ?
और हम ? हमने क्या किया ? सुबह की चाय के साथ समाचार पत्र में और न्यूज चैनल में आतंकवादी हमले की खबर की निंदा की ? देश को कोसा ? सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह उठाए ? थोड़ी देर शहीद हुए लोगों के लिए खेद व्यक्त किया और लग गए अपने काम में ? क्या हमें हक हैं देश के नेता को या अन्य को कोसने का ?
मैं नहीं कहतीं की हमारे नेता या सुरक्षा व्यवस्था में कमी नहीं हैं मैं मानती हूँ कमी हैं मगर जरूरत आज खुद कुछ करने की हैं . मेरे कहने का ये मतलब नहीं की हमें बंदूक लेकर हमला करना हैं. हमें जरूरत है आंतरिक एकता की जहाँ हम कोई जाति कोई मजहब के न होकर भारतवासी हो. अपने आपसी मतभेदों को भुला हम एक हों जाएँ तो ऐसे आतंकवाद का मुक़ाबला कर पाने में समर्थ होंगे. अपने इतिहास से हमें सीख लेना होंगी और आतंक का मुँह तोड़ जवाब देना होंगा. जागो देशवासियों ये आक्रोश जताने का वक्त हैं.
“प्रेरणा शहीदों से हम अगर नहीं लेंगे
आजादी ढलती हुई साँझ बन जाएगी
यदि वीरों की पूजा हम नहीं करेंगे
सच मानो वीरता बाँझ बन जाएगी “
प्रेषक
मोनिका दुबे (भट्ट)
21 टिप्पणियां:
apke vicharo se sahamat hun. dhanyawad.
यह समय है कश्मीरी आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों पर बिना समय गवाए पूरी शक्ति के साथ सैन्य कार्यवाही का ! एक मुक्तिवाहनी सेना के हस्तक्षेप की !
आपसे सहमत हूं। वर्ड वेरिफ़िकेशन का टैग हटा दे तो कमेण्ट करने मे आसानी रहेगी।
हमारा मानना है कि अब इस मुद्दे पर सरकार कि कार्यवाही मुद्दा बननी चाहिए, नेताओं का मुद्दा नही हम सब का मुद्दा
और हाँ वर्ड वेरिफिकेशन हटाने से लोगों को टिप्पणी देने में सुविधा होगी
achchaa likhaa hai
आपकी बात से सहमत हूँ
अपने बिल्कुल सही कहा है ,सहमत हूँ !
आपकी बात सही है। कोई भी राष्ट्रव्यापी समस्या हो, जिम्मेदारी की बात हम हमेशा सरकार पर छोड़ते हैं। हम अपने को बस टीका-टिप्पणी तक सीमित रखते हैं। अगर हमारा स्वाथॆ न हो तो देश और समाज के लिए कुछ करने की बात हम शायद ही सोचते हों। सरकार की कमजोरियां अपनी जगह, पर देश को मजबूत बनाने की कोई कोशिश हम भी तो नहीं करते। वैसे मुंबई हमले को भारत के हर एक आदमी को सबक के रूप में लेना चाहिए।
बहुत ही सही सकारात्मक विचार रखा है आपने.. बहुत बढिया. शुरुवात करनी है, तो बस सबको शक की निगाह से देखना बंद करें. सबसे प्रेम से रहें. बाकी सरकार अपना काम करेगी... हम अपने लेवल पैर कम से कम.. द्वेष और घृणा न रखे
सहमत हूँ!!
बेहद सटीक आर्टिकल एवं आपसे पूर्ण सहमति ! रामराम !
"लोग हम से पूछते हैं , क्या हो दहशत गर्द का ?
हाथ गर आ जाये तों फिर क्या हमारा फ़र्ज़ हो ?
काम है इन्साफ तों आखिर खुदा का दोस्तों ,
हाँ , खुदा तक उस को पहुचाना हमरा फ़र्ज़ हो ..."
Haan yeh sach hai ki aatankvaad ka muqabala mil kar karne ki jarurat hai.
Charau Taraf Nasha Hi Nasha Hai
Lagta Hai Har Taraf Tu Hi Tu Khada Hai
Muhabbat Me Teri Hum Khogaye Hai
Dur Najane Tum Se Hum Kyu Ho Gaye Hai
http://shayrionline.blogspot.com/
बिल्कुल...
karj to hamara hain aur hum vasul kar rahe hain.
arvind ji uddha se sirf tabahi hi hogi aur kuchh hasil nahin hoga.buddhijivi logon ko ek political samajh ke sath andolan karana hoga. achchhe log jab tak rajneeti me nahin jayenge yah system thik nahin hoga.isaka ekmatra upay hi yah hai.
आगे तो आम आदमी को ही आना होगा वरना नेता तो न बाबा न क्या कहूं। आपने सही लिखा है, जनता को ऐसे ही जगाना होगा।
monikaji,
apne apne parichay me lekhan ko din-charya ka niyamit ang batlaya hai pr aapke blog pr karib ek mahine se aapki kalam ki koi jal-chal nahi hai ?
mujhe aapki kalam ka jayka acha laga.
'sanam''
“प्रेरणा शहीदों से हम अगर नहीं लेंगे
आजादी ढलती हुई साँझ बन जाएगी
यदि वीरों की पूजा हम नहीं करेंगे
सच मानो वीरता बाँझ बन जाएगी “
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ... इन पंक्तियों के लिये बधाई स्वीकारें ।
“प्रेरणा शहीदों से हम अगर नहीं लेंगे
आजादी ढलती हुई साँझ बन जाएगी
यदि वीरों की पूजा हम नहीं करेंगे
सच मानो वीरता बाँझ बन जाएगी “
प्रेरणादायी पंक्तियाँ.
सही कहा आपने हमें एकजुट होना होगा और इस आतंक का का अंत करना होगा...बहुत ही विचारपरक लेख ..धन्यवाद...!!
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