
जब मैं छोटी थी तब तुम मुझे खोज लिया करती थी छुप जाने पर और अपनी गोद में बिठाकर ढेर सारे किस्से कहानियाँ सुनाती थी. बाबूजी जब गुस्सा होते तो तुम झट बच्चों की तरफदारी करती चाहें बाबूजी लाख नाराज हों.
पास पड़ोस की तुम अकेली ही वैद्य थी तुम्हारे पास हर बीमारी के लिए एक राम बाण औषधि होती थी. गाँव में किसी के घर बच्चे का जन्म होने वाला हों तो तुम ही थी जो क्या करना चाहिए क्या नहीं वो बताती थी. किसी के यहाँ विवाह तुम्हारे बिना संभव न था क्योकि सारे रस्मो रिवाज तो तुम्हें ही पता थे. चाहें वो मंडप, माता पूजन हों या बन्ना बन्नी गाना हों तुम सबसे अनमोल थी. घर में यदि कथा हों रही हैं तो पंडित जी को बार बार हिदायत देती थी तुम और पंडित की मजाल जो तुम्हारी बात से टल जाए.
मुझे भी तो कई बार प्यार भरी झिड़की देती थी जब मुझे खाना बनाना नहीं आता था. और माँ पिताजी को फटकार भी पड़ती थी मुझे घर के काम न सिखाने के लिए. एक बार तो तुमने मुझसे हाथ पकड़ कर मक्के की रोटी बनवाई थी. और रोटी जल जाने पर भी तुमने बड़े प्यार से केवल वही रोटी खाईं थी और कहा था की तेरे हाथ की रोटी सबसे अच्छी बनी हैं.
जब स्कूल में मुझे बड़ी क्लास की लड़की ने झगड़ा होने पर मेरी पिटाई की थी तब तुम ही थी जो मेरे लिए उस लड़की को घर जाकर फटकार आई थी. और तो और एक बार टीचर ने होमवर्क न करने पर जब मुझे सजा दी थी और मेरे हाथ सूज कर लाल हों गए थे तो तुमने उस टीचर की वो खबर ली थी कि पूरे स्कूल को हिला दिया था. जब मेरी जॉब लगी थी तब तुम इतनी खुश हुई की पूरे गाँव को पता चल गया था की मै समाचार पत्र में काम कर रहीं हूँ. साथ ही तुम्हें मेरे विवाह की भी चिंता थी जो तुम समय समय पर माँ पिताजी के सामने जाहिर करती थी. जब शादी की तारीख पक्की हुई थी तो तुम खुशी से नाच उठी थी और जमकर तैयारियों में जुट गई थी. जब ढोल बजता था तो तुम खुशी से नाचती थी और मेरी नजर उतारती थी. बिदाई के समय खूब रोई थी और फिर मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई और मुझे समझाइश भी दी थी की बिटिया अपने घर का मान रखना और ससुराल में सबको खुश रखना .
तुम मेरे लिए सब कुछ थी माँ पिताजी से मुझे कुछ मनवाने के लिए मैं सदा तुम्हारा सहारा लेती थी. और पिताजी तुम्हारी बात कैसे टालते तुम उनकी माँ जो थी. मेरी दादी थी तुम. और मैं तुम्हारी लाड़ली पोती.
अचानक तुम कहाँ खो गई दादी..? तुम्हें कितना खोजा पर इस बार तुम नहीं मिल रहीं हों. बचपन में तो मैं तुम्हें झट खोज लेती थी और तुम्हारे गले लग जाती थी. पर आज तुम नहीं मिल रहीं हो दादी...? जब पिताजी ने बताया कि तुम हम सबको छोड़ कर चली गई हो तो मुझे लगा जैसे मेरा बचपन चला गया . जो अब तक तुम्हारे होने पर चंचलता थी वो तुम्हारे साथ चली गई. मेरे साथ साथ माँ पिताजी भी बहुत अकेले हों गए हैं दादी.
जब दादाजी हमें छोड़ कर गए थे मैं तुमसे लिपटकर रोई थी पर मुझे तुम्हारा हौसला था अब मैं बहुत अकेली हूँ दादी...... गाँव वाले भी तुम्हें बहुत याद करते है दादी..... तुम क्यों चली गई....? …. दादी मुझे तुम्हारी बहुत याद आती हैं......
प्रेषक
मोनिका भट्ट (दुबे)
8 टिप्पणियां:
कितनी सारी यादें. दादी को जीवंत कर दिया आपकी इस पोस्ट ने. और भावुक भी.
sach dadi ka pyar aur gussa dono mithas se bhare hote hai,bahut marmik post sundar yaadein.
बोहोत प्याली हैं आपकी दादी...............एक दम मेली दादी की तरह........मगल मेली दादी तो उपल तली दई.......ऊँ.....ऊँ.......ऊँ.........ऊँ.........ऊँ........!!थोली अब नई लोउंगा.............थोली.......!!
मोनिका तुम बहुत अच्छा लिखती हो पढ़कर बहुत अच्छा लगता है. तुम्हारी दादी की तस्वीर हमारी आँखों के सामने साकार हो गई. बचपन की मीठी यादें मन को भिगोती रहती हैं. मन उन स्मृतियों के आस-पास ही घूमता रहता है और यदि उन यादों को अभिव्यक्ति के पंख मिल जाएँ तो मन-पंछी ऊँचे बहुत ऊँचे मीठी यादों के आकाश में उड़ता रहता है. उस समय मन अपने आप को सबसे अधिक सुखी और क़द में सबसे बड़ा समझता है.यही तो है जीवन का वास्तविक सुख,इस सुख के सामने सभी सुख छोटे लगने लगते हैं. इस संस्मरणात्मक सुंदर आलेख के लिए बहुत- बहुत बधाई. आयु में तुम मेरी बेटियों जैसी ही हो. इसलिए मैंने `तुम` संबोधन किया है. इसी तरह लिखती रहो और एक दिन तुम बहुत ऊँचाइयों पर पहुँच जाओगी. फिर एक बार बधाई.
डॉ. मीना अग्रवाल
मोनिका आप बहुत अच्छा लिखती हैं, और आपका ब्लॉग पढ़ कर मुझे अपने दादा-दादी की याद आ गई। मैं आपको धन्यवाद करना चाहती हूँ की आपके लेख के द्वारा मुझे अपने बचपन की उन स्म्रतियों की याद आ गई जो दिल के किसी कोने मैं खो गए थे। आशा करती हु की आप इसी तरह अपने कलम का उपयोग करती रहे।
ऋचा
परसोँ मेरी दादी भी चलीँ गयीँ।मेरा घर सूना कर गयीँ।हे भगवान हमारी दादी नही बेटिया छीन ली तुमने हमसे।मै कैसे कहूं कितना कष्ट है मुझे।मेरी प्यारी दादी.......दादी.......
Excellent superb... awesome..
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