शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009

प्यार


प्यार का इजहार करने के लिये क्या कोई दिन निश्चित होता हैं यह तो कभी भी किया जा सकता हैं हाँ एक बहाना जरूर मिल जाता हैं रिश्तों को फिर से नवीन करने के लिए. प्यार शब्द में सारी दुनिया समाई हुई हैं.एक मीठा एहसास जो जीवन में ताजगी भर देता हैं. प्यार आदमी को बहुत कुछ सिखाता हैं. कभी कभी खामोशी भी शब्दों से अधिक असरदार होतीं हैं. रिश्तों में यदि प्रेम न हो तो वे अधूरे रह जाते हैं और कुछ प्रेम ऐसा भी होता हैं जिसका कोई रिश्ता नहीं होता.

बहुत कुछ हैं लिखने के लिए लेकिन फिर भी हम प्रेम का सही मायनों में अर्थ नहीं जानते. दुख होता हैं जब समाचार पत्रों में खबर पढ़ती हूँ कि प्रेमी ने प्रेमिका की जान ली.प्रेमिका ने आत्मा हत्या की और ऐसी ही कई खबरें जहाँ प्रेम के नाम पर कुछ और किया जाता हैं. प्यार तो व्यक्ति को सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर ले जाता हैं लेकिन कुछ लोग प्यार के मायने ही बदल देते हैं.

प्यार में पाने में आनंद नहीं बल्कि खोने में हैं. किसी की आँख का आँसू आपकी आँखों में हो और किसी का दुख आपकी नींद उड़ा दे, किसी की हँसी आपके लिये सबसे कीमती हो और आप सारी दुनिया को भुला दे. यही तो प्यार के रंग हैं. आज लोगों में ईर्ष्या ,द्वेष नफरत इतने घर कर गए हैं कि प्यार को जगह ही नहीं मिल पाती. प्यार मात्र शारीरिक आकर्षण और तोहफे लेन देन का नाम नहीं.बल्कि आपकी भावना हैं जो आपके दिल में हैं. कुल मिलाकर जितना कहूँ कम ही होंगा.

सिर्फ यहीं कहना चाहती हूँ कि एक दिन महँगे तोहफे देने, और आई लव यूँ कहने को प्यार नहीं कहते. बल्कि प्यार खुद ही अनमोल तोहफा हैं जिसे किसी और तोहफे की जरूरत नहीं. न शब्दों की जरूरत हैं. सिर्फ एहसास हैं ये रूह से महसूस करों प्यार को प्यार ही रहने दो कोई......................


प्रेषक
मोनिका भट्ट (दुबे)

13 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर, प्रेम दिवस की शुभकामनाएं

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गुलाबी कोंपलें

Udan Tashtari ने कहा…

सिर्फ एहसास हैं ये रूह से महसूस करों-सत्य वचन, उचित सलाह!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया विचार प्रेषित किए हैं।आज तो प्यार व्यापार बन गया है।आप ने बहुत सही लिखा है_
"प्यार खुद ही अनमोल तोहफा हैं जिसे किसी और तोहफे की जरूरत नहीं"
यह भी सही है प्रेम के लिए कोई एक दिन निश्चित नहीं किया जा सकता।

Shamikh Faraz ने कहा…

monika ji maine pahli bar aapka blog visit kiya kafi achha laga aur sabse achha laga aapke intro ka last shayer. agar aap shayeri karne me intrested hain to main aapko invite kar raha hun. mre blog ke lie koi isi tarah ki shayeri bhejen. aur han gar kabhi waqt mile to mere blog par aayen.
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अनिल कान्त ने कहा…

प्रेम से सम्बंधित आपने जो भी लिखा मुझे बहुत अच्छा लगा ....

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Dr. G. S. NARANG ने कहा…

BAHUT KHUBSURAT LIKHA HAI

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

प्रेम जिसे कहते हैं.....!!
मचल जाए तो किसी ठौर से ना बांधा जाए......
इस सकुचाहट के पीछे कितना कुछ बहता जाए......
बंद आंखों से ये आंसू पीता जाए....
और आँख खुले तो जैसे सैलाब सा बह जाए....
बेशक मौन अपने मौन में.....
दर्द ढेर सारे पी जाता हो......
मगर मौन जो टूटे.....
जिह्वा फफक कर रह जाए....
समूची आत्मा को आंखों में उतार ले जो....
प्रेम जिसे कहते हैं....
वो पलकों पे उतर आए.....

मीत ने कहा…

प्यार तो सिर्फ वही था जो राधा की आँखों से बहा था...
कृष्ण की बांसुरी जो केवल राधा के लिए बजती थी उसी के लिए उस बांसुरी में बेजान हो गया था..
प्रेम तो वही था...
आज प्रेम नहीं है.. आज लालच है.. स्वार्थ है...
मीत

The Lost Love ने कहा…

Bahut hi

The Lost Love ने कहा…

Bahut hi sadha vichaar hai pyaar par,please ek Love Story dekhen:
http://riseinluv.blogspot.com

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

मोनिका जी
आपने ये बात बिलकुल ही सत्य कही है की प्यार का असली आन्नद प्यार को खुश देखने में है न की उसे पाने में...
परन्तु वर्तमान में तो वो शाश्वत प्यार अब सिमट कर फटाफट मोहब्बत ही रह गया.......
खैर मै भी आप के साथ लोगो से यही ही कहना चाहूँगा की..........
सिर्फ एहसास हैं ये रूह से महसूस करों प्यार को प्यार ही रहने दो कोई......

संजय भास्‍कर ने कहा…

सिर्फ एहसास हैं ये रूह से महसूस करों-
ढेर सारी शुभकामनायें.

SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

उन्मुक्त ने कहा…

प्यार और प्यार शब्द का अर्थ दोनो अपने में बन्धन रहित हैं। उनकी व्याख्या कर पाना मुमकिन नहीं। शायद केवल इसका एहसास ही किया जा सकता है।