मंगलवार, 16 अगस्त 2011

अब नही जागे तो कब......?



भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.

मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की

हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए


इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.

उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.

प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.

मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की

हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए


इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.

उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.

प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)

बुधवार, 20 जुलाई 2011

बहन का खत भाई के लिए







हर साल की तरह इस बार भी जब भाई ने मुझसे पूछा की दीदी तुम्हे राखी पर क्या चाहिए तो आँखे ये सोच कर नम हो आई की मे कितनी खुशकिसमत हू जो मुझे एक समझदार और ज़िम्मेदार भाई मिला हे जो मुझसे उम्र मे बहुत छोटा हे लेकिन अपनी दीदी की हर छोटी बड़ी बातो का ख़याल रखता हे और मान भी देता हे. साथ ही मन ये भी सोचने लगा की आज के समय मे एसा बेटा, भाई सबको नही मिलता. आजकल के भाई कहाँ जिंदगी भर अपने भाई बहनो की ज़िम्मेदारी निभा पाते हे.

मैने अपने स्कूल मे कितनी ही लड़कियो को राखी के दिन रोते हुए देखा था क्योकि उनके भाई नही थे और वो किसे राखी बाँधे ये सोचकर उदास होती थी. तब मे इस बात पर बहुत खुश होती थी की भगवान ने मुझे भाई दिया हे जिसकी कलाई पर मे राखी वाले दिन राखी बाँध सकती हू और मनचाहा उपहार भी पा सकती हूँ. तब बालमान भाई बहन के रिश्ते की संजीदगी को नही समझ पाता था लेकिन बड़े होने पर ये बात समझ मे आई की केवल भाई होना खुशी की बात नही बल्कि एक ज़िम्मेदार, समझदार संस्कार को मान देने वाला और नींव से जुड़ा रहने वाला भाई होना खुशी की बात होता हे. जो अपनी बहन और भाई के साथ साथ माता-पिता का ख़याल भी रख सके.

सोचा क्यो न इस बार राखी पर भाई से कुछ अनोखा माँगा जाए और सिर्फ़ अपनी तरफ से नही बल्कि दुनिया की हर बहन की तरफ से दुनिया के हर भाई के लिए.

तो भाई सुनो तुम्हारी बहन तुमसे क्या चाहती हे.

सबसे पहले एक बहन की चाह हे की तुम एक अच्छे सच्चे और ईमानदार इंसान बनो बहुत उन्नति करो लेकिन अपनी नींव को कभी नही भूलो.

बहन को मान दो लेकिन उसके पहले अपने माता पिता को मान दो उनका दिल कभी भी न दुखाओ और जब माता पिता के चेहरे पर झुर्रिया आने लगे तो उनका हाथ मजबूती से थाम लो ताकि उनके कदम लड़खड़ाए ना.

जब पिताजी व्रद्धावस्था मे पहुँच जाए तो हो सकता हे की वो थोड़े चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाए क्योकि कहते की बुडापे मे स्वभाव थोड़ा चिड़चिड़ा हो जाता हे तब उनके इस स्वभाव के कारण कहीं उनसे मुँह नही फेर लेना याद रखना की इन्ही माँ - बाप ने तुम्हारे बचपन मे तुम्हारे गुस्से और ज़िद को सहा हे वो भी हँसते हँसते.

भैया माँ बहुत संकोची स्वभाव की हे हमेशा उनकी प्राथमिकता मे सबसे पहले उनके बच्चे फिर उनके पति और बाद मे वो स्वयं होती हे. इसलिए उनकी ज़रूरतो का हमेशा ख़याल रखना. वो माँ हे, तुम्हारी माँ, इसलिए उनका मन दुखी न करना. तुम जिंदगी मे कितने भी व्यस्त हो जाओ लेकिन उनके लिए कुछ समय निकाल लेना . हो सकता हे करियर के लिए या जॉब के लिए तुम्हे उनसे दूर रहना पड़े फिर भी कम से कम फ़ोन पर उनके हाल चाल ज़रूर पूछ लेना. जैसे तुम होस्टल मे थे तब माँ केसे तुमसे फ़ोन पर पूछा करती थी न की बेटा खाना खाया की नहीं पेसे की ज़रूरत तो नही वरना पापा से कह कर और पेसे डलवा दू? वेसे ही अब तुम्हे उनका ख़याल रखना हे.

माता पिता के बाद बारी आती हे बड़े भाई भाभी और तुम्हारी पत्नी और बच्चो की जो की बहुत महत्वपूर्ण हे. एसा न हो की तुम परिवार की ज़िम्मेदारिया निभाते निभाते अपनी पत्नी और बच्चो के प्रति उदासीन हो जाओ वो तुम्हारी ज़िम्मेदारी हे और तुम्हारी प्राथमिकता भी इसलिए उन्हे भी खुश रखना तुम्हारा कर्तव्य हे. बड़े भाई भाभी को मान देना और छोटो के लिए एक आदर्श भाई साबित होना भी तुम्हारी ज़िम्मेदारी का ही हिस्सा हे.

इन सबके बाद बारी आती हे हमारे समाज और देश की तुम जब एक अच्छे और सच्चे इंसान बनोगे अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यो की पूर्ति करोगे तो ज़िम्मेदारिया यही ख़त्म नही हो जाती हमारा परिवार, समाज और देश का ही तो हिस्सा हे सो उसके प्रति कर्तव्यो से मुकर नही सकते.

समाज मे अगर किसी बुराई को जन्म लेते देखो तो उसे वही ख़त्म करने का प्रयास करो. सच्चाई का साथ दो चाहे तुम उसमे अकेले ही क्यो न हो. अपने से छोटे तबके के लोगो की मदद करो उनको घ्रणा से न देखो न ही खुद के बड़े होने का अभिमान करो.

देश के प्रति समर्पित रहो देश से प्यार करो. भैया आधुनिक हो जाने का मतलब यह नही की देश के बारे मे सोचना या देश भक्ति की बाते करना व्यर्थ हे. बल्कि तुम्हे अगर कोई मौका मिले देश सेवा का तो पीछे नही हटना.

देश सेवा का यह मतलब नहीं की सीधे बंदूक लेकर सीमा पर खड़े हो जाओ बल्कि और भी तरीके हे देश की सेवा के तुम किसी ज़रूरतमंद को रक्त दान कर सकते हो. जो बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे उन्हे तुम पढ़ने मे मदद कर सकते हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाओ और इसे जड़ से ख़त्म करने मे मदद करो. देश से अपने घर की तरह ही प्रेम करो इसे साफ सुथरा रखो, औरो को भी प्रेरणा दो. बस यह भावना अगर तुम्हारी रही तो तुम एक सच्चे नागरिक बन पाओगे और तुम्हारी बहन यही चाहती हे की तुम अच्छे भाई की तरह एक अच्छा नागरिक भी बनो.

इन सबके बाद बारी आती हे मेरी यानी तुम्हारी बहन की तो भैया मुझे ज़्यादा कुछ नही चाहिए बस एक वचन की तुम ये सारी बाते निभाओगे और अपनी बहन का सर हमेशा गर्व से उँचा रखोगे. तुम कही भी रहो देश या विदेश अपनी मिट्टी को कभी नही भूलो और हम सब से खूब सारा स्नेह पाते रहो. तुम्हारी बहन हमेशा तुम्हारे साथ हे. तुम्हारी तरक्की के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हे और तुमसे राखी के बदले बस यही चाहती हे की तुम इस वचन को निभाओ .

तो भैया अपनी बहन को इस बार राखी पर ये उपहार दोगे ना?

प्रेषक
मोनिका भट्ट (दुबे)

शनिवार, 2 जुलाई 2011

क्या तुम आज स्कूल आओगे?





अब ये नही होगा.......... कल मुझसे मेरे छोटे भाई ने कहा की दीदी अब तुझसे ये कोई नही कभी कहेगा की आज स्कूल क्यो नही आई या क्या तुम आज स्कूल आओगी? बात बिल्कुल साधारण सी थी पर मे सारा दिन सोचती रही की ये बात कितनी सच हे . बचपन के साथ साथ ये सारे पल भी तो बीत गये जब सारी सहेलिया साथ स्कूल जाती और हर दिन एक दूसरे से पूछती थी की क्या कल स्कूल आओगी?

हमारी वो दुनिया ही निराली थी. लूका छुपी का खेल खेलने के लिए हर शाम भगवान जी से बोलना की प्लीज़ भगवान जी लाइट चली जाए ताकी मम्मी हमे बाहर खेलने की इजाज़त दे दे क्योकि तब घर पर इनवेर्टर की व्यवस्था नही थी सो मम्मी के पास कोई रास्ता नही होता था. मम्मी के हाथ के आलू के पराठे और नींबू का आचार जो मुझे कभी खाने नही मिलता था सब मेरी सहेलियो के नाम कुर्बान और होस्टल मे मम्मी के हाथ के बेसन के लड्डू मगर यहा भी रूम मेट के साथ शेयर करना मजबूरी थी. स्कूल जाने और आने के समय अगर बारिश हो गई तो १५ मिनट का रास्ता भी १ घंटे मे तय होता था .

घंटो सहेलियो के साथ बैठकर गप्पे मारना और भविष्य की योजनाए बनाना. सहेली का जन्मदिन होने पर उससे हलवे का केक कटवाना ( उस समय केक इस तरह आसानी से नही मिल पता था) . मम्मी पापा का प्यार और फटकार . सुबह देर से उठने पर पापा का लंबा लेक्चर और उनका समाचार पत्र पढ़ते हुए चश्मे से तिरछी निगाहो से गुस्से से देखना और कुछ देर बाद मुस्कुरा देना. आस पास के कंपनी बाग मे हमारी पिकनिक और वहा जब मेरी सहेली का टिफिन एक कुत्ता खा गया तो हम सब हंस हंस कर ओंदे हो गये थे.

एसी कितनी ही मीठी यादे हे जिनका यदि सिलसिले वार ज़िक्र करने लगे तो कभी ख़त्म ही न हो. सच कितनी मधुर यादे हे जो जिंदगी मे जब भी हम हौसला हारे या जीवन से थकने लगे तो हमारा हौसला बढ़ाती हे .

यही तो जिंदगी हे खट्टी और मीठी . आज भाई की एक बात ने मुझे मेरे बचपन की सेर करा दी और मन फिर से पहुच गया उसी मासूमियत और भोली नटखट दुनिया मे जहा सब कुछ अच्छा ही अच्छा था बुरा कुछ भी नही .
और मे खुद को तरो ताज़ा महसूस करने लगी तो सोचा क्यो ना आपको भी इसी ताज़गी का अहसास कराया जाए तो जनाब बचपन की दुनिया की खुश्बू ने आपको भी महका ही दिया आख़िर?
प्रेषक
मोनिका भट्ट