
भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.
मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की
हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.
उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.
प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.
मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की
हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.
उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.
प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.
मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की
हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.
उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.
प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.
पूरा देश अन्ना के साथ हे. अन्ना आज एक नाम नही एक क्रांति हे एक आंदोलन हे और हम सभी चाहते हे की ये देश रिश्वत खोरो से मुक्त हो सारा सिस्टम ठीक से चलायमान हो.
इन सबमे राजनीतिक पार्टिया आपस की लड़ाई भी लड़ रही हे. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हे.लेकिन आम आदमी को इन सबसे उपर उठ कर सोचना चाहिए.
मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्तिया याद आती हे की
हो गयी हे पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश हे की ये सूरत बदलनी चाहिए
और मेरे सीने मे न सही तेरे मे सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
इसलिए उठो देश वासीयो जागो ये सोने का समय नही बता दो की तुम भारत माता की संतान हो जब पीड़ा का सागर खून मे हिलोरे लेगा तो पौरुष परिभाषित होकर स्वयम् तुम्हे ललकारेग. आज इतिहास फिर क्रांति चाहता हे आज फिर एक जुट हो कर तानाशाही पर अंकुश लगाने की ज़रूरत हे.
उठो भारत के सपुतो जाग जाओ और आगे बडो देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करो.
प्रेषक
मोनिका भट्ट(दुबे)
4 टिप्पणियां:
कवि दुष्यंत जी की रचना को सार्थक करना है , अच्छा लेख आभार
Hi I really liked your blog.
I own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so that you can get all the credit for the content. This is totally free of cost, and all the copy rights will remain with you. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner, literature, food street and editorial section of our website and the content shared by different writers and poets. Kindly Reply if you are intersted in it.
http://www.catchmypost.com
and kindly reply on mypost@catchmypost.com
बहोत अच्छा लेख | धन्यवाद |
♥
सार्थक पोस्ट थी यह …
आदरणीया मोनिका जी
नमस्कार !
लेकिन आपके यह कहने , कि लिखना मेरी दिनचर्या का एक हिस्सा है के बावजूद इतने समय तक नई पोस्ट न डालना समझ नहीं आया …
:)
*दुर्गा अष्टमी* और *राम नवमी*
सहित
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
- राजेन्द्र स्वर्णकार
एक टिप्पणी भेजें