शुक्रवार, 11 मार्च 2016

घोंसला
रोज़मर्रा के काम काज करते हुए सामने के खाली फ्लेट की खिड़की पर नज़र गयी तो देखा कि कबूतर तिनके

एकत्रित कर रहे है. लगभग रोज ही मेरी वहा नज़र जाती और मैने देखा की १०-१५ दिन मे कबूतरों ने घोसला

बना लिया और अंडा भी दिया कुछ दिन में अंडे से बच्चे निकल आए. रोज उन कबूतरो और उनके बच्चो को

देखना मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था. एक दिन मैनें देखा की सामने के फ्लेट की लाइट जल रही हे

शायद कोई नया किरायेदार रहने आ गया था. अगले ही दिन उन्होने पूरे फ्लेट की साफ सफाई शुरू की और

खिड़की की भी सफाई कर दी गयी. कबूतर का घोसला टूट गया.कबूतर और उसके नन्हे बच्चे बेघर हो यहाँ वहाँ

उड़ने लगे. अचानक बारिश शुरू हुई.कबूतर के बच्चे बारिश से बचने के लिए एक कोने मे जा छुपे. सामने वाले

किरायेदार के बच्चे खिड़की से बारिश को देख ताली बजा बजा कर खुश हो रहे थे.वही कबूतर किसी कोने मे छुपे

बारिश के बंद होने का इंतजार कर रहे थे. कुछ देर मे बारिश थमी और कबूतर ने उँची उड़ान भरी एक नये घर

की एक नये घोंसले की तलाश मे.

मोनिका भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: